छत्तीसगढ़राज्य

कॉलेज ने किया छात्रा का साल बर्बाद! एडमिशन लेने के बाद निकाला, कोर्ट ने दे ये आदेश….

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एमबीए में एडमिशन लेने और एक महीने तक क्लास करने के बाद भी छात्रा को शिक्षा से वंचित कर दिया गया। छात्रा ने अपना एक साल बर्बाद होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने रुंगटा एजुकेशनल फाउंडेशन के संचालक को याचिकाकर्ता को दी गई 36,791 रुपए की फीस जमा करने की तिथि से लेकर भुगतान तक 8 प्रतिशत प्रतिमाह ब्याज के साथ वापस करने को कहा है। साथ ही याचिकाकर्ता को हुए नुकसान के लिए 2 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है। 

प्रक्रिया पर उठे सवाल

गिरिजापुर कोरिया निवासी रिद्धि साहू रुंगटा कॉलेज से एमबीए कर रही थी। उसने कॉलेज में एडमिशन की सभी औपचारिकताएं पूरी की और फीस भी जमा की। एक महीने तक क्लास भी की। फिर विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और अन्य प्रतिवादियों ने यह कहते हुए उसका एडमिशन रोक दिया कि उसका नाम सीजीडीटीई पोर्टल पर नहीं दिखा है, जिस पर विश्वविद्यालय से एमबीए कोर्स करने वाले छात्रों की सूची प्रदर्शित होती है। याचिकाकर्ता को 13 नवंबर 2024 से कॉलेज जाने से रोक दिया गया। छात्रा ने 20 नवंबर 2024 को संचालक तकनीकी शिक्षा रायपुर को अभ्यावेदन दिया। याचिकाकर्ता द्वारा की गई अनुशंसा पर 22 नवंबर 2024 को शासकीय कन्या पॉलिटेक्निक कॉलेज रायपुर के प्राचार्य की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की गई।

पूरी फीस और पेनाल्टी ब्याज सहित चुकाएं

25 नवंबर 2024 को याचिकाकर्ता को सीजीडीटीई के काउंसलिंग पोर्टल में प्रवेश के लिए संस्थान को आवंटन पत्र और अन्य आवश्यक दस्तावेज की प्रति जमा करने को कहा गया। संचालक रूंगटा एजुकेशनल फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उसे अस्थायी प्रवेश दिया गया था। संचालक तकनीकी शिक्षा द्वारा प्रवेश तिथि नहीं बढ़ाई गई, जिसके कारण याचिकाकर्ता को स्थायी प्रवेश नहीं मिल सका।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली। याचिका में कहा गया है कि प्रिंसिपल कन्या पॉलिटेक्निक कॉलेज की अध्यक्षता वाली समिति ने जांच रिपोर्ट में कहा है कि कॉलेज ने याचिकाकर्ता से फीस ली है और नियमों के खिलाफ उसे कॉलेज में प्रवेश दिया है। चूंकि याचिकाकर्ता की कोई गलती नहीं थी, इसलिए उसे उसी कॉलेज में एमबीए की कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए।

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