सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न मामले में दोषी पर की कड़ी टिप्पणी
दहेज उत्पीड़न के एक मामले में दोषी झारखंड के हजारीबाग निवासी योगेश्वर साव की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तीखी टिप्पणी की। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने अपीलकर्ता की अपनी बेटियों की उपेक्षा करने और पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए फटकार लगाई।
कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार
पीठ ने कहा कि आप किस तरह के आदमी हैं, जो अपनी बेटियों की भी परवाह नहीं करते? हम ऐसे निर्दयी व्यक्ति को अपनी कोर्ट में कैसे आने दे सकते हैं? सारा दिन घर पर कभी सरस्वती पूजा, कभी लक्ष्मी पूजा करते हो और फिर यह सब करते हो।
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि याचिकाकर्ता को किसी भी प्रकार की राहत तभी दी जाएगी जब वह अपनी कृषि भूमि अपनी बेटियों के नाम करने पर सहमत होगा।
ये है मामला
कटकमदाग गांव निवासी योगेश्वर साव उर्फ डब्ल्यू साव को 2015 में हजारीबाग के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने आइपीसी की धारा 498 ए के तहत अपनी पत्नी पूनम देवी को 50 हजार रुपये दहेज के लिए प्रताड़ित करने का दोषी पाया था और ढाई साल कैद की सजा सुनाई थी।
योगेश्वर और पूनम की शादी 2003 में हुई थी और उनकी दो बेटियां हैं। 2009 में पूनम देवी ने दहेज उत्पीड़न, जबरन गर्भाशय निकलवाने और उसके बाद अपने पति द्वारा दोबारा शादी करने का आरोप लगाते हुए एफआइआर दर्ज कराई थी। उसने अपने और अपनी बेटियों के भरण-पोषण के लिए पारिवारिक न्यायालय में याचिका भी दायर की।
दोषी योगेश्वर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
पारिवारिक न्यायालय ने साव को अपनी पत्नी को 2,000 रुपये प्रति माह और प्रत्येक बेटी को वयस्क होने तक 1,000 रुपये प्रति माह देने का आदेश दिया। साव ने झारखंड हाई कोर्ट में अपनी सजा के खिलाफ अपील की, जिसने सितंबर 2024 में ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद दोषी योगेश्वर ने दिसंबर 2024 में राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।